हिंदी कविता - फिर एक बार | हिंदी शेर ओ शायरी
हिंदी कविता - फिर एक बार | हिंदी शेर ओ शायरी |
उफन ने दो उस दरिया को
अपने लहू में
जलने दो सासों को
अपने सीने में
वक्त आयेगा जब हवाए
किनारे की तरफ चलेगी
वक्त आयेगा जब पसीने की बदबू
खुशबू बन हवाओ में उड़ेगी
इसलिए निराश न होना
कभी आश न खोना
फिर नई सुबह ,इस काली
रात के सीने को चीर उठेगी |
फिर एक बार
सुनहरी धूप तुम्हारे आंगन को
खुशियों से भर देगी
फिर एक बार
तू उठ खड़े होने का जजबा तो दिखा
भूल जा सभी गिले सिकवे और
कठनाई , समस्याओ को गले तो लगा
वक्त झूम कर विखेर देगा खुशिया
तेरी राहों में, तू फिर एक बार
अपने खामोश कदमो को आगे तो बढ़ा
सफलता गायेगी गीत तेरे
तू फिर एक बार
दिल से गुनगुना के तो दिखा
असमा दिखने में बड़ा है तो क्या
वो सिमट जायेगा तेरी बाहों में
तू फिर एक बार
चाहत की बाहे फैला के तो दिखा
तू फिर एक बार ..................|
लेखक :- यतेन्द्र सिंह
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